छत्तीसगढ़ की मिट्टियां
किसी भी क्षेत्र में पाये जाने वाले चट्टानों से उस क्षेत्र की मृदा का निर्धारण होता है.छत्तीसगढ़ भारत के प्रायद्वीपीय पठार का हिस्सा है ,यहाँ अलग-अलग प्रकार की मिटटी पाई जाती है.
मृदा प्रदेश में कृषि एवं वन संसाधन के लिए महत्वपूर्ण है .प्रदेश में पाये जाने वाले चट्टानों के आधार पर मुख्य रूप से 05 प्रकार की मृदा पाई जाती है.
1. लाल-पीली मिट्टी 2. लाल-बलुई मिट्टी 3. काली मिट्टी 4. लैटेराइट मिट्टी 5. लाल-दोमट मिट्टी
1. लाल-पीली मिट्टी :
- छत्तीसगढ़ में इस मिट्टी का विस्तार 50 -55 % पर है .
- यह मिटटी छत्तीसगढ़ के मध्य तथा उत्तरी भाग में पायी जाती है, इसे छत्तीसगढ़ में मटासी मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है .
- छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक भाग में इस मिट्टी का विस्तार है.
- इस मिट्टी का लाल रंग फेरस ऑक्साइड व पीला रंग फेरिक ऑक्साइड के कारण दिखाई देता है.
- यह मिट्टी धान की फसल के सर्वोत्तम है. इसके अलावा इसमें अलसी,तिल,ज्वार,मक्का,कॉटन फसले भी लगाई जाती है.
- इस मिट्टी में चुने की प्रधानता होती है .
- इस मिट्टी का ph मान 5 .5 से 8 . 5 तक होता है .इसलिए इसमें अम्लीय व क्षारीय गुण दोनों पाये जाते है.
- इस मिट्टी में नाइट्रोजन व फास्फोरस की कमी होती है.
2. लाल-बलुई मिट्टी :
- छत्तीसगढ़ मे इस मिट्टी का विस्तार 25 - 30 % है.
- दंतेवाड़ा,बस्तर ,कांकेर ,राजनांदगांव और बालोद के दक्षिणी हिस्से में इस मिटटी का विस्तार है.
- यह मिटटी मोटे अनाज जैसे कोदो ,कुटकी ,ज्वार ,बाजरा के लिए उपर्युक्त मानी जाती है.
- यह एक रेतीली मिट्टी है इसलिए इसे टिकरा मिट्टी कहा जाता है .
- बस्तर के उच्च भूमि में पायी जाने वाली मिटटी को टिकरा मिट्टी कहा जाता है.
- इस मिटटी में अम्लीय गुण होता है इसके अलावा इसमें नईट्रोज़न,हयूमस की कमी होती है.
3. काली मिट्टी :
- इस मिट्टी का विस्तार छत्तीसगढ़ में 8 - 10 % है
- मैकल श्रेणी,दुर्ग ,बालोद और गरियाबंद में यह मिटटी पायी जाती है.
- इस मिट्टी का निर्माण बेसाल्ट युक्त चट्टानों के अपरदन से हुआ है .
- इसे छत्तीसगढ़ में कन्हार,रेगुर,कपासी मिटटी के नाम से भी जाना जाता है.
- इस मिट्टी का कला रंग फेरिक टाइटेनियम के कारण होता है .
इस मिट्टी की जलधारण क्षमता सर्वाधिक होने के कारण इसकी सतह में चिका की मात्रा सर्वाधिक होती है,यह सबसे उपजाऊ मिट्टी है.यह मिट्टी गन्ना,कपास ,गेंहू और चना की फसलों के उपयोगी होती है.इस मिट्टी में क्षारीय गुण होता है.
लाल-पीली मिट्टी और काली मिट्टी के मिश्रण को डोरसा कहते है.
4. लैटेराइट मिट्टी :
- इस मिट्टी का स्थानीय नाम मुरुमी ,भाठा मिट्टी है.
- इसका विस्तार पाट प्रदेशो में (सरगुजा संभाग,जगदलपुर) में है .
- इस मिट्टी में आयरन व एलुमिनियम ऑक्साइड पाये जाते है .
- इसका ph मान 7 से अधिक होता है इसमें क्षारीय गुण पाया जाता है.
- यह मिट्टी बागानी फसलों के उपर्युक्त होती है जैसे आलू ,टमाटर ,चाय ,लीची आदि.
- अधिक कठोरता के कारण इस मिट्टी का उपयोग भवन निर्माण में किया जाता है.
5. लाल-दोमट मिट्टी :
- इस मिट्टी का विस्तार छत्तीसगढ़ में 10 - 15 % है .
- यह मुख्य रूप से दंतेवाड़ा व सुकमा में पायी जाती है.
- लौह-अयस्क की अधिकता के कारण इसका रंग लाल दिखाई देता है.
- सबसे कम जलधारण क्षमता इसी मिट्टी की होती है.
- जल के अभाव के कारण पत्थर के समान कठोर हो जाती है.
छत्तीसगढ़ में मिट्टियो का नामकरण
छत्तीसगढ़ की स्थानीय बोली में मिट्टियो को अलग-अलग नाम से जाना जाता है.दक्षिण बस्तर में स्थानीय मिट्टियो को मरहान,टिकरा ,माल/बाड़ी,गंभार नाम से और उत्तर छत्तीसगढ़ में टिकरा ,छावर,बाहरा,गाद छावर नाम से जाना जाता है.
बस्तर के पठार में पायी जाने वाली मिट्टी (उच्च से निम्न)
1. मरहान
2. टिकरा
3. माल/बाड़ी
4. गंभार
सरगुजा क्षेत्र में पायी जाने वाली मिट्टी (उच्च से निम्न)
1. टिकरा
2. छावर
3. बाहरा
4. गाद छावर
छत्तीसगढ़ में जिस जमीन में खेती नहीं की जाती हो उस जमीन को परिया कहते है.
छत्तीसगढ़ मिट्टियो का स्थानीय नाम
1. लाल-पीली मिट्टी- मटासी मिट्टी
2. काली मिट्टी - कन्हार /रेगुर/कपासी मिट्टी
3. लाल-बलुई - टिकरा मिट्टी
4. लेटेराइट मिट्टी - टिकरा/मुरुमी /भाठा मिट्टी
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