Ticker

5/छत्तीसगढ़ की सामान्य जानकारी/ticker-posts

मध्यप्रदेश का गठन | Formation of Madhypradesh

मध्यप्रदेश का गठन (Formation of Madhya Pradesh)

मध्यप्रदेश का गठन


भारत के मध्य में स्थित मध्यप्रदेश(Madhya Pradesh) भारतीय सभ्यता संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखता हैं। मध्यप्रदेश को भारत (India) का हृदय प्रदेश  कहा जाता हैं, क्योकि यह भारत के बीच में हृदय के समान स्थित हैं। मध्यप्रदेश में सोयावीन की अधिक मात्रा में उत्पादन के कारण इसे सोया प्रदेश भी कहा जाता हैं। 

मध्यप्रदेश की स्थापना 1 नवम्बर  1956 को हुई थी एवं मध्यप्रदेश का वर्तमान स्वरूप 1 नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद आया है। विभाजन के पूर्व मध्यप्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य था लेकिन विभाजन के बाद राजस्थान सबसे बड़ा राज्य हो गया और मध्यप्रदेश दूसरे स्थान पर है।

मध्यप्रदेश का गठन (Formation of Madhya Pradesh)

स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत में 542 देसी रियासतें थी , जिसमें से 539 रियासते स्वेच्छा से भारत में विलय कर चुकी थी परंतु 3 रियासते जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू कश्मीर को भारत में विलीन करने में कठिनाई हुई।

1. जूनागढ़ को जनमत संग्रह के आधार पर भारत में तब मिलाया गया जब जूनागढ़ का शासक पाकिस्तान भाग गया।

2.  हैदराबाद की रियासत को पुलिस कार्यवाही करके भारत में मिलाया गया ।

3.  जम्मू कश्मीर रियासत के शासक ने पाकिस्तानी कबायलियों के आक्रमण के कारण विलय पत्र पर हस्ताक्षर करके अपनी रियासत को भारत में मिलाया गया।

ब्रिटिश प्रांतों वह देशी रियासतों का एकीकरण करके भारत में चार प्रकार की राज्यों का गठन किया गया यह राज्य थे

1. A राज्य(A State) :

 216 देशी रियासतों को ब्रिटिश भारत के पड़ोसी प्रांतों में मिलाकर ए राज्य का गठन किया गया जिसमें असम, बिहार, मुंबई, पंजाब ,संयुक्त प्रांत ,मध्य प्रदेश ,पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, मद्रास और आंध्र शामिल किए गए और इस प्रकार इनकी संख्या 10 थी।

2.  B राज्य(B State) :

275 देसी रियासतों को नई प्रशासनिक इकाई में गठित करके राज्य की श्रेणी प्रदान की जिसमें जम्मू कश्मीर, राजस्थान ,सौराष्ट्र ,मध्य भारत ,हैदराबाद ,मैसूर ,पेप्सू ,कोचीन और ट्रावनकोर शामिल किए गए और इस प्रकार इनकी संख्या 8 थी।

3.  C राज्य(C State) :

61 देशी रियासतों को एकीकृत करके इसमें रखा गया जिसमें अजमेर ,बिलासपुर ,भोपाल , हिमाचल प्रदेश , कच्छ, मणिपुर, त्रिपुरा ,विंध्य प्रदेश और कुग्र शामिल थे और इस प्रकार इनकी संख्या 9 थी।

4.  D राज्य(D State) :

अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह को D राज्य की श्रेणी में रखा गया।

भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन

1. 1912 :- सर्वप्रथम 1912 में भाषाई आधार पर तीन राज्यों बिहार, उड़ीसा तथा असम का गठन किया गया था।


2. 1913 :- आंध्र महासभा की स्थापना भाषाई आधार पर तेलुगु राज्य की स्थापना की मांग करने के लिए किया गया।

3. 1918 :- मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार लागू करते समय भाषाई आधार पर राज्यों के गठन के संबंध में विचार को मान्यता दी गई।

4. 1930 :- भारतीय कानूनी आयोग का गठन किया गया जिसने जाति ,धर्म, भाषा ,आर्थिक हित तथा भौगोलिक समानता के आधार पर राज्यों के गठन की सिफारिश की थी और इसी सिफारिश को 1936 में मान्यता प्राप्त होने पर सिंध प्रांत का गठन किया गया। 

 पुनर्गठन की मांग और  कांग्रेस 

स्वतंत्रता के पूर्व और बाद में भारत का प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस राजनीतिक कारणों से भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग का समर्थन करती थी।

कांग्रेस दल ने तेलुगु ,कन्नड़ , मराठी भाषा बोलने वाली जनता के दबाव में आकर 27 नवंबर 1947 को राज्यों के भाषा के आधार पर पुनर्गठन की मांग को मान लिया तथा संविधान सभा के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद नए इलाहाबाद के उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस के धर की अध्यक्षता में एक भाषाई प्रांत आयोग का गठन किया।

भाषाई प्रांत आयोग(Linguistic province commission)

1. एस के धर आयोग :-

1. इस आयोग का कार्य दक्षिण भारत में उठी इस की मांग जांच करना था कि भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन उचित है या नहीं?

2. आयोग ने 10 दिसंबर 1948 को अपनी रिपोर्ट संविधान सभा में प्रस्तुत की जिसमें भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का विरोध किया गया था जबकि उसके द्वारा प्रशासनिक सुविधा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का समर्थन किया गया था।

3. परिणाम - उक्त आयोग की रिपोर्ट का तीव्र विरोध हुआ जिसके फलस्वरुप जयपुर अधिवेशन में भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के मामले पर विचार करने के लिए JBP(जवाहर लाल नेहरू,वल्लभ भाई पटेल पट्टाभि सीतारमैया) समिति का गठन किया गया ।

2. JBP समिति  :

1. इस समिति ने 1 अप्रैल 1949 को अपनी रिपोर्ट पेश की और भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग को अधिकार कर दिया।

2. समिति के द्वारा दी गई रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद मद्रास राज्य में रहने वाले तेलुगु भाषाई द्वारा आंदोलन प्रारंभ कर दिया गया और इस आंदोलन का नेतृत्व करने वाले पोट्टी श्रीरामुलु अनशन आमरण में बैठ गए और 56 दिन की लगातार अनशन आमरण 1952 को उनकी मृत्यु हो गई जिसके फलस्वरुप यहां आंदोलन तीव्र हो गया और इसी आंदोलन की तीव्र गति को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 19 दिसंबर 1952 को तेलुगु भाषा के आधार पर पृथक आंध्र प्रदेश के गठन की घोषणा कर दी इस प्रकार 1 अक्टूबर 1953 को आंध्र प्रदेश राज्य का गठन हुआ जो कि स्वतंत्र भारत में भाषा के आधार पर भारत का पहला राज्य था।

3. राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन और उस की सिफारिश :

1.  1 अक्टूबर 1953 को आंध्र प्रदेश राज्य के गठन के कारण भारत के अन्य राज्यों में भाषा के आधार पर गठन की मांग की गई जिसके कारण केंद्र सरकार ने 22 दिसंबर 1953 को राज्य पुनर्गठन आयोग की नियुक्ति की घोषणा की।

2. इस आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति सैयद फैजल अली थे तथा आयोग के अन्य सदस्य के एम पणिक्कर तथा हृदयनाथ कुंजरू थे।

3. इस आयोग ने 30 दिसंबर 1955 को अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी जिसके फलस्वरुप 1956 में 14 राज्य और पांच संघ राज्य क्षेत्रों का गठन किया गया।

14 राज्य :

1 आंध्र प्रदेश 2 बिहार  3 असम 4 मुंबई  5 जम्मू कश्मीर, 6 केरल, 7 मद्रास ,8 मैसूर ,9 उड़ीसा, 10 उत्तर प्रदेश 11 पंजाब 12 राजस्थान 13 मध्य प्रदेश 14  पश्चिम बंगाल शामिल थी

5 संघ राज्य क्षेत्र 

1 दिल्ली 2 हिमाचल प्रदेश 3 मणिपुर 4 त्रिपुरा 5 अंडमान ,निकोबार दीप समूह और लक्ष्यदीप अमनदीप तथा मिनी का दीप का गठन किया गया

स्वतंत्रता पूर्व मध्य प्रदेश वर्तमान स्वरूप में ना होकर अलग-अलग प्रांतों तथा रियासतों में विभक्त था 

1.  ए राज्य(ब्रिटिश प्रांत) :

मध्य प्रांत व बरार शामिल किए गए थे जिसमें बघेलखंड ,छत्तीसगढ़ की रियासतों को सम्मिलित किया गया था जिसकी राजधानी नागपुर थी।

2.  बी राज्य :

 इसमें मध्य भारत और पूर्वी रियासतों को शामिल किया गया था जिन की दो राजधानियां थी।

1. ग्वालियर 2.  इंदौर

3.  सी राज्य :

 इस राज्य में भोपाल रियासत ,विंध्य प्रदेश ,महाकौशल को शामिल किया गया था और इसकी राजधानी रीवा थी.

4.  D राज्य :

अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह को D राज्य की श्रेणी में रखा गया.

राज्य पुनर्गठन आयोग(State reorganization commission) की रिपोर्ट :

30 दिसंबर 1953 को राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर 1 नवंबर 1956 को गठन किया गया जिसमें कुछ प्रशासनिक परिवर्तन भी किए गए।

1. भाग ए राज्य के 8 जिले अमरावती ,अकोला ,वर्धा ,भंडारा, बुलढाणा ,चांदा ,यवतमाल तथा नागपुर को मुंबई राज्य मैं मिला लिया गया और शेष भाग को मध्यप्रदेश में मिला लिया गया।

2 भाग B राज्य में सर्वप्रथम मंदसौर जिले की भानपुरा तहसील को सुनेल टप्पा को राजस्थान को दे दिया गया जबकि कोटा की सिरोज तहसील को मध्य प्रदेश के विदिशा में मिलाया गया।

3. भाग सी स्टेट भोपाल रियासत सहित मध्यप्रदेश में मिला लिया गया।

इस संपूर्ण प्रक्रिया के पश्चात 1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश का गठन पूर्ण हुआ तथा इसकी राजधानी भोपाल रखी गई थी और उस समय भोपाल स्वतंत्र जिला ना होकर सीहोर जिले की तहसील था।

मध्य प्रदेश का निर्माण 

1. 1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश का निर्माण हुआ जिसमें 8 संभाग और 43 जिले थे.  इस नवनिर्मित मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल, राज्यपाल सीतारमैया और मुख्य न्यायाधीश एम हिदायतुल्ला को बनाया गया था।

मध्य प्रदेश के गठन के पश्चात भी समय-समय पर इस में परिवर्तन होते रहे

1.  26 जनवरी 1972 में 2 जिलों

  1.  भोपाल(विदिशा से अलग कर )
  2. राजनांदगांव (दुर्ग से अलग कर )का निर्माण हुआ।
  3.  इस समय मध्य प्रदेश में जिलों की संख्या 45 हो गई।

2.  1982 में बी आर दुबे की अध्यक्षता में जिला पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया जिस की अनुशंसा पर दिग्विजय सरकार द्वारा 10 नए जिले बनाने का निर्णय लिया गया परंतु क्षेत्रीय विवाद उठने के कारण 1998 में सिंहदेव कमेटी का गठन किया गया तथा इस कमेटी की अनुशंसा पर 6 नए जिले बनाए गए।

  1. बड़वानी(खरगोन से अलग करके) 
  2. श्योपुर (मुरैना से अलग करके)
  3. कटनी (जबलपुर से अलग करके)
  4. डिंडोरी(मंडला से अलग करके)
  5. उमरिया(शहडोल अलग करके )
  6. हरदा(होंशगाबाद अलग करके)
  7. नीमच(मंदसौर अलग करके)

इस प्रकार 1998 में कुल 16 जिलों का निर्माण किया गया जिसने मध्य प्रदेश में जिलों की संख्या 61 हो गई

4.  15 अगस्त 2003 को 3 नए जिले बनाए गए।

1. गुना से अशोकनगर

2. खंडवा से बुरहानपुर

 3. शहडोल से अनूपपुर का निर्माण हुआ।

5. 17 मई 2008 को झाबुआ से अलीराजपुर हुआ।

6.  24 मई 2008 को सीधी से सिगरौली का निर्माण हुआ।

7.  16 अगस्त 2013 को शाजापुर से नए जिले के रूप में आगर मालवा अस्तित्व में आया।

8.  2018 - 1 अक्टूबर 2018 में एक ओर नया जिला बनाया गया।

 निवाड़ी( टीकमगढ़ से) 

इस समय जिलों की संख्या  51+1=52 थी ।

9.  18 मार्च 2020 को 3 नए जिलों को मंजूरी प्रदान की गई।

  1. मैहर (सतना से)

 2. नागदा(उज्जैन से)  

3. चाचौड़ा(गुना से) इस प्रकार मध्यप्रदेश में कुल जिले  52+3=55

 इस प्रकार वर्तमान मध्यप्रदेश में 52 जिले तथा 10 संभाग हो गए और 11 संभाग के रूप में छिंदवाड़ा संभाग का गठन होना बाकी है ।

वर्तमान स्थिति में  मध्यप्रदेश में 52 जिले हैं

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ