नमस्कार दोस्तों, एक बार फिर से स्वागत है आपका स्वागत है और आज हम भारतीय संविधान के इतिहास के बारे में बात करते हैं। 1773 और १ ९47 के बीच, कई अधिनियमों को अंग्रेजों ने लागू किया जिससे भारतीय संविधान के विकास में मदद मिली।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि 1757 में प्लासी की लड़ाई और 1764 में बक्सर के बाद, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल पर कब्जा कर लिया, अंग्रेजों ने समय-समय पर शासन करने के लिए कई अधिनियम पारित किए, जिसके द्वारा केवल भारतीय संविधान के विकास में मदद मिली।
भारत का संवैधानिक विकास
ब्रिटिश संसद द्वारा पारित चार्टर/ अधिनियम/ योजनाओं को दो भागों में बांटा गया।
ब्रिटिश संसद द्वारा पारित चार्टर /अधिनियम
1. ईस्ट इंडिया कंपनी(East India Company) :-
(1773 से 1858 तक) केंद्रीकरण
- 1773 का रेगुलेटिंग एक्ट
- भारत सरकार अधिनियम 1858
- 1781 का एक्ट ऑफ सेटलमेंट
- भारत परिषद अधिनियम 1861
- 1784 का पिट्स इंडिया एक्ट
- भारत परिषद अधिनियम 1892
- 1786 का अधिनियम
- भारत परिषद अधिनियम 1909
- 1793 का चार्टर एक्ट
- 1813 का चार्टर एक्ट
- 1833 का चार्टर एक्ट
- 1853 का चार्टर एक्ट
2. क्राउन/ ताज का शासन(Crown / Crown rule)
(1858 से 1947 ) विकेंद्रीकरण
- भारत सरकार अधिनियम 1858
- भारत परिषद अधिनियम 1861
- भारत परिषद अधिनियम 1892
- भारत परिषद अधिनियम 1909
- भारत सरकार अधिनियम 1919
- भारत शासन अधिनियम 1935
- भारतीय स्वतंत्र अधिनियम 1947
1. ईस्ट इंडिया कंपनी के स्थापना के साथ ही इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ से 15 वर्षों तक व्यापार का अधिकार दिया।
संचालन- बोर्ड ऑफ डायरेक्टर द्वारा किया जा रहा था , इसमें एक गवर्नर और 24 सदस्य थे।
2. 1726 का राजलेख(Epigraph of 1726) :-
कोलकाता, मद्रास, मुंबई कि प्रेसिडेंट क्यों में गवर्नर की नियुक्ति की गई और उनकी परिषद को विधि बनाने की शक्ति प्रदान की गयी।
3. 1773 का रेगुलेटिंग एक्ट(Regulating act) :-
मुख्य उद्देश्य- इस एक्ट को पारित करने का मुख्य उद्देश्य कंपनी के कार्यों को भारत में इंग्लैंड दोनों स्थानों में नियंत्रित करना था।
- इस अधिनियम द्वारा बंगाल के गवर्नर को बंगाल का गवर्नर जनरल कहा जाने लगा और उसकी सहायता के लिए 14 सदस्य कार्यकारी परिषद का गठन किया गया और बंगाल के गवर्नर जनरल के अधीन मद्रास एवम बम्बई की गवर्नर हो गए।
- बंगाल का पहला गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स थे।
- इस अधिनियम के तहत 1774 में कोलकाता में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई जिसमें मुख्य न्यायाधीश और तीन अन्य न्यायाधीश थे।
- मुख्य न्यायाधीश- सर एलिजा इम्पे
- अन्य न्यायाधीश - हाइट, चेंबर, लिमिस्टर
- बोर्ड ऑफ डायरेक्टर कार्यकाल - 3 से 4 वर्ष कर दिया गया।
4. 1781 का एक्ट ऑफ सेटलमेंट(Act of settlement) :-
इस एक्ट को संशोधनात्मक एक कहा जाता है
- उद्देश्य- रेगुलेटिंग एक्ट की त्रुटियों को दूर
- सुप्रीम कोर्ट बंगाल, बिहार, उड़ीसा के दीवानी प्रदेशों के लिए विधि बनाने का अधिकार दिया सुप्रीम कोर्ट की राजस्व अधिकारिता को समाप्त कर दिया।
5 1784 का पिट्स इंडिया एक्ट(Pitts India Act):-
यह अधिनियम एक्ट ऑफ सेटलमेंट का विस्तृत रूप था।
- इस अधिनियम के तहत 6 सदस्य नियंत्रक मंडल या बोर्ड ऑफ कंट्रोल की नियुक्ति की गई इसकी नियुक्ति की ब्रिटिश संसद के द्वारा की गई।
- बोर्ड ऑफ कंट्रोल सैनिक, असैनिक मामले, राजस्व संबंधी मामले और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के व्यापारिक कार्यों पर पूर्ण नियंत्रण था।
- गवर्नर जनरल की परिषद् 4 से 3 कर दी गई।
- इसी समय इंग्लैंड में कोर्ट की स्थापना की गई जिसका उद्देश्य भारत में नियुक्त अधिकारियों के अवैध कार्य पर मुकदमा चलाने के लिए किया गया।
6. 1786 का अधिनियम(Act of 1786) :-
- बंगाल के गवर्नर को अतिरिक्त शक्ति प्रदान की गई
- बंगाल के गवर्नर जनरल को प्रधान सेनापति की शक्ति प्रदान की गई तथा विशेष अवस्था में अपने परिषद की और निर्णय को लागू करने का अधिकार दिया गया
- उद्देश्य- लॉर्ड कार्नवालिस गवर्नर जनरल प्रथम मुख्य सेनापति दोनों की शक्ति चाहता था।
7. 1793 चार्टर एक्ट(1793 Charter Act) :-
- ब्रिटिश भारतीय क्षेत्रों में लिखित विधियों द्वारा प्रशासन की नींव रखी गई।
- कंपनी के व्यापारिक अधिकारों को 20 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया।
- सभी कानूनों और विनियमों की व्याख्या का अधिकार न्यायालय को दिया गया।
- बोर्ड ऑफ कंट्रोल के अधिकारियों को भारतीय कोष से वेतन दिया जाने लगा।
8. 1813 का चार्टर एक्ट(Charter Act of 1813) :-
- कंपनी के व्यापारिक एकाधिकार को 20 वर्ष के लिए पुनः बढ़ा दिया गया( राजस्व नियंत्रण)- राजस्व की वसूली।
- भारतीय व्यापार पर कंपनी के एकाधिकार को समाप्त कर दिया गया परंतु चाय और चीनी के व्यापार पर एकाधिकार बना रहा।
- स्थानीय स्वायत्तशासी संस्थाओं को कर लगाने का अधिकार दिया गया।
- ईसाई मिशनरियों को भारत में प्रवेश करने की छूट मिल गई ताकि वे धर्म का प्रचार भी कर सकें।
- कंपनी को भारत में शिक्षा पर ₹100000 वार्षिक खर्च करने का प्रावधान किया गया और इस बजट के अनुशंसा लॉर्ड वुड्स के अनुशंसा पर की गई थी।
9. 1833 का चार्टर एक्ट(Charter Act of 1833) :-
- कंपनी के व्यापारिक एकाधिकार को पूर्णता समाप्त कर दिया गया और कंपनी को प्रशासनिक व राजनीतिक संस्था बना दिया गया।
- भारत के प्रशासन का केंद्रीकरण किया गया और बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया।
- भारत के गवर्नर जनरल- लॉर्ड विलियम बैटिंग।
- इस अधिनियम द्वारा कानून बनाने के लिए गवर्नर जनरल की परिषद में एक अतिरिक्त कानूनी सदस्य को चौथे सदस्य के रूप में सम्मिलित किया गया और चौथे सदस्य के रूप में T.B मेकाले की नियुक्ति की गई।
- TB मेकाले की अध्यक्षता में विधि आयोग का गठन किया गया।
- मैकाले के प्रयासों से दास प्रथा , कन्या वध , सती प्रथा अवैध घोषित किया।
- T B मैकाले के द्वारा भारत में शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी किया गया।
- मैकाले को ड्रेन थ्योरी का जन्मदाता कहा जाता है।
- इसी समय ठगी प्रथा का उन्मूलन करने का श्रेय कर्नल स्लमिन को जाता है।
10. 1853 का चार्टर एक्ट(Charter Act of 1853) :-
- ब्रिटिश शासन का अंतिम चार्टर था।
- भारत के गवर्नर जनरल के परिषद के विधायी और प्रशासनिक कार्यों को अलग किया गया।
- बंगाल के प्रशासनिक कार्यों के लिए एक अलग से लेफ्टिनेंट गवर्नर की नियुक्ति की गई।
- संपूर्ण भारत के लिए सर्वप्रथम एक विधानमंडल की स्थापना की गई।
- भारतीय सिविल सेवा के संबंध में मैकाले समिति की नियुक्ति की गई।
- सिविल सेवक सिविल सेवकों भर्ती हेतु खुली परीक्षा का प्रारंभ किया गया यह प्रतियोगिता भारतीय नागरिकों के लिए भी खोल दिया गया।
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