भारतीय संविधान के विकास(Development of Indian Constitution)
1. भारत सरकार अधिनियम 1858(Government of India Act 1858):-
- यहां अधिनियम 1857 के विद्रोह के परिणाम स्वरुप आया और समस्त शक्ति ब्रिटिशराज राजशाही को हस्तांतरित कर दी गई जिससे भारत का शासन महारानी विक्टोरिया के अधीन चला गया।
- गवर्नर जनरल को वायसराय कहां गया( लॉर्ड कैनिंग)
- बोर्ड ऑफ कंट्रोल और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के पद को समाप्त कर दिया गया और इसके समस्त अधिकार भारत सचिव को सौंप दी गयी।
- 1784 पिट्स इंडिया एक्ट के द्वारा स्थापित द्वैध शासन का अंत हुआ।
- वायसराय लॉर्ड कैनिंग के द्वारा सर्वप्रथम विभागीय प्रणाली की शुरुआत की गई।
- भारत सचिव ब्रिटिश मंत्रिमंडल का सदस्य होता था जिसकी सहायता के लिए 15 सदस्य भारत परिषद का गठन किया गया इसमें 7 सदस्यों की नियुक्ति को कोड ऑफ डायरेक्टर के द्वारा तथा 8 सदस्यों की नियुक्ति ब्रिटिश सरकार द्वारा की जाती थी।
- इस अधिनियम को अपने अधिकारों का मैग्नाकार्टा कहा जाता है।
2. भारत परिषद अधिनियम 1861(Council of India Act 1861):-
- वायसराय को परिषद में कानून बनाने की शक्ति दी गई और अध्यादेश जारी करने की शक्ति दी गई।
- लॉर्ड कैनिंग के द्वारा मंत्रालय प्रणाली को मान्यता दी गई।
- वायसराय को नए प्रांत के निर्माण और लेफ्टिनेंट गवर्नर की नियुक्ति करने का अधिकार दिया गया।
- 1861 में लॉर्ड कैनिंग ने तीन भारतीय बनारस के राजा , पटियाला के महाराजा, सर दिनकर राव को विधान परिषद में मनोनीत किया।
- मद्रास और बंबई प्रेसिडेंसी को या प्रांतों को विधायिका शक्ति देकर विकेंद्रीकरण की शुरुआत की गई।
- 5 वायसराय को विधानसभा में भारतीयों को मनोनीत करने की शक्ति प्रदान की गई।
3. भारत परिषद अधिनियम 1876(Council of India Act 1876) :-
- महारानी विक्टोरिया को भारत के साम्राजी घोषित किया गया।
4. भारत परिषद अधिनियम 1893(Council of India Act ) :-
- उद्देश्य - यहां अधिनियम भारतीय आंदोलन के फलस्वरूप कुछ अधिकार देने के लिए बना था , परंतु इसने केवल भारतीय विधान परिषद की शक्ति , कार्य और रचना की बात की गई थी।
- इस अधिनियम के सबसे महत्वपूर्ण बात निर्वाचन पद्धति का प्रारंभ होना था।
- विधानमंडल के सदस्यों के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि की गई उनके सदस्यों को सार्वजनिक हित के विषयों पर प्रश्न पूछने तथा बजट पर बहस करने का अधिकार दिया गया लेकिन मतदान का अधिकार नहीं दिए दिया गया।
5. भारत परिषद अधिनियम 1909( मार्ले मिंटो सुधार)
- उद्देश्य- भारतीय राजनीति में बढ़ते हुए उग्रवाद और क्रांतिकारी राष्ट्रवाद से उत्पन्न स्थिति का सामना करना था।
- इन सुधारों में सरकार की यह इच्छा विद्वान थी कि कांग्रेस के उदारवादी नेता नेताओं को प्रसन्न कर दिया जाए और सांप्रदायिक सांप्रदायिकता की भावना को निर्णय करके उग्रवाद तथा क्रांतिकारी राष्ट्रवाद की शक्तियों का दमन कर दिया जाए।
- केंद्रीय और प्रांतीय विधान परिषदों के आकार में वृद्धि।
- विधान परिषदों की चर्चा का दायरा बढ़ाया गया जिसके तहत अब सार्वजनिक हित के विषय में प्रस्ताव रखने, प्रश्न पूछने और पूरक प्रश्न पूछने का अधिकार मिल गया
- इस अधिनियम की महत्वपूर्ण उपलब्धि यह थी कि इसके द्वारा भारतीय सचिव की परिषद तथा बाहर, भारत की वायसराय की कार्यकारी परिषद में सर्वप्रथम भारतीय सदस्यों को शामिल किया गया। सत्येंद्र प्रसाद सिन्हा वायसराय की प्रथम भारतीय सदस्य थे।
- इस अधिनियम द्वारा सांप्रदायिक आधार पर निर्वाचन पद्धति को स्थापित करने का प्रयास किया तथा मुस्लिम के लिए पृथक निर्वाचन मंडल की स्थापना की इसके अंतर्गत मुस्लिम सदस्यों का चुनाव मुस्लिम मतदाता ही कर सकते थे
- इसलिए लॉर्ड मिंटो को सांप्रदायिक निर्वाचन के जनक के रूप में जाना जाता है( फूट डालो और राज करो की नीति अपनाई)
6. भारत सरकार अधिनियम 1919(मांटेग्यू- चेम्सफोर्ड सुधार)
- इस अधिनियम ने पहली बार देश में द्विसदनीय व्यवस्था और प्रत्यक्ष निर्वाचन की व्यवस्था प्रारंभ की।
- इस अधिनियम के द्वारा प्रांतों में द्वैध शासन स्थापित किया गया।
- प्रांतों में द्वैध शासन के जनक- लियोनीकल कोर्टिक्स कहां जाते हैं।
- इस अधिनियम द्वारा संघ लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई।
- इस अधिनियम के तहत सिक्खो, ईसाइयों, आंग्ल भारतीय व यूरोपिय हेतु पृथक निर्वाचक मंडल के सिद्धांत का विस्तार किया गया।
- 3 इस अधिनियम के तहत उत्तरदाई शासन शब्द का प्रयोग किया गया।
7. भारत शासन अधिनियम(Government of India Act) 1935 :-
- 1935 भारत के लिए तैयार किए गए अंतिम संविधानिक प्रस्ताव था।
- साइमन कमीशन ,श्वेत पत्र, गोलमेज सम्मेलन, भारत शासन अधिनियम 1935 का आधार बने।
- इस अधिनियम के द्वारा संघीय न्यायपालिका की स्थापना नई दिल्ली में की गई जिसकी सुनवाई प्रिवी कौंसिल में की जाती थी।
- प्रांतों में द्वैध शासन का अंत।
- केंद्र में द्वैध शासन प्रणाली का प्रारंभ
- अखिल भारतीय संघ की स्थापना की गई जिसमें 11 ब्रिटिश प्रांत ,6 कमिश्नरी और कुछ देशी रियासत थी।
- संघ और केंद्र के बीच में शक्तियों का विभाजन किया गया।
- संघ सूची - 59 विषय, समवर्ती सूची- 36 विषय, प्रांत सूची- 56 विषय
- भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना की गई।
- बर्मा को भारत से अलग कर दिया जाए।
8. क्रिप्स मिशन(Cripps Mission) 1942 :-
- उद्देश्य - भारतीयों के सहयोग के लिए।
- द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश शासन के द्वारा यह महसूस किया गया कि भारतीयों द्वारा दिया गया सहयोग अधिक महत्वपूर्ण होगा। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए 1942 के मार्च महीने में ब्रिटिश कैबिनेट मंत्री स्टेफोर्ड क्रिप्स को कुछ प्रस्ताव के साथ भारत भेजा गया। जिसे भारत के सभी राजनीतिक दलों ने अस्वीकार कर दिया।
- क्रिप्स प्रस्ताव के अंतर्गत यह मान लिया गया था कि युद्धोपरांत भारतीयों को यह अधिकार है कि वह अपने लिए अपने संविधान सभा में संविधान का निर्माण कर सके किंतु प्रांतों को नए संविधान को स्वीकार करने या ना करने की छूट दी गई।
- मुस्लिम लीग ने इस प्रस्ताव को इसलिए अस्वीकार कर दिया क्योंकि उस प्रस्ताव में सांप्रदायिक आधार पर बंटवारे का प्रस्ताव नहीं था।
- गांधी जी द्वारा यहां आलोचना की गई यह प्रस्ताव बात की तारीख का चेक है
- 1942, भारत छोड़ो आंदोलन, क्रिप्स मिशन की असफलता के फल स्वरुप भारतीय वातारण पुनः शांत हो गया।
- 8 अगस्त 1942 के दिन मुंबई के अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने अंग्रेजी भारत छोड़ो प्रस्ताव पारित किया।
9. वेवेल योजना(Wavell Plan) 1945:-
- 1943 : लॉर्ड लिनलिथगो के स्थान पर लॉर्ड वेवेल वायसराय बनाए गए के द्वारा याद घोषणा की गई जब तक भारतीय स्वयं अपना संविधान नहीं बना लेते हैं तब तक अंतरिम व्यवस्था के रूप में अधिशासी परिषद भारतीयकरण कर दिया जाएगा और उसमें भारतीय राजनेताओं को, मुसलमानों को, हिंदुओं के बीच समानता पर समानता के आधार पर सम्मिलित किया जाएगा तथा उसमें दलित वर्गों और सिखों का एक प्रतिनिधि होगा।
- परिषद में वायसराय तथा कमांडर इन चीफ को भी शामिल किया जाना था।
- 1945 का शिमला सम्मेलन : द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्ति के बाद वायसराय लॉर्ड वेवेल द्वारा शिमला में भारतीय नेताओं का सम्मेलन बुलाया गया जो 25 जून से 14 जुलाई 1945 तक चला इस सम्मेलन में विभिन्न राजनीतिक दलों के मत विभिन्नता के चलते कोई ठोस निर्णय नहीं पहुंचा जा सका कांग्रेस जहां पर इस सम्मेलन में अखंड भारत की मांग कर रही थी वही मुस्लिम लीक पाकिस्तान के लिए अपनी मांग पर अड़े रहे।
10. भारतीय स्वतंत्र अधिनियम 1947 :-
- 20 फरवरी 1947 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने घोषणा की कि 30 जून 1947 को भारत में ब्रिटिश शासन समाप्त हो जाएगा।
- 3 जून 1947 को माउंटबेटन ने भारत विभाजन योजना प्रस्तुत की।
- भारत ने ब्रिटिश राज्य समाप्त करके 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र एवं संप्रभु राष्ट्र घोषित किया गया और इसमें भारतीय रियासतों को यह स्वतंत्रता दी कि वह चाहे तो भारत या पाकिस्तान के साथ मिल सकते हैं या स्वतंत्र रह सकते हैं।
- इस अधिनियम को माऊण्टबेंटन योजना भी कहा जाता है।
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